Sahithi Vivek
What's good or bad : just definition matter
We name something : so we giving it dimensions
Only in comparison with ugly beautiful exists
We understand the death as no life
In relationship we see the long and short
In falling deep inventing «high»
To play a string the sound needs another sound
One after other comes the future present past
Therefore sage performs not doing, does not act
His teaching silent and without words his study
Creates and does not pursue ownership
Without help creates motion, again, again
Effortlessly gives birth to changes
And in completion and fulfillment, free of pride
Not losing for himself respect and love
क्या अच्छा है या क्या बुरा: यह सिर्फ परिभाषा की बात हैं,
किसी चीज को नाम देकर हम उसे आयाम देते हैं,
सुंदरता बदसूरत की तुलना में ही मौजूद हैं,
हम मृत्यु को जीवन के अंत के रूप में ही समझते हैं,
जब रिश्तों की बात आती है, तो हम अच्छे और बुरे देखते हैं,
जब आप गहरे गिरते हैं, तो आप ऊंचे उठते हैं,
एक तार को बजाने के लिए जैसे दूसरी ध्वनि की आवश्यकता होती है,
भविष्य, वर्तमान और अतीत सभी परस्पर जुड़े हुए हैं,
इसलिए साधु न अभिनय करता है, न ही वह प्रदर्शन करता है
उनका शिक्षण मौन है, बिना शब्दों का है उनका अध्ययन,
वह बनाता भी है, और स्वामित्व भी नहीं चाहता हैं,
पूरे इतिहास में, गति बिना सहायता के बनाई गई है,
परिवर्तन का जन्म सहजता से होता है,
तथा पूर्णता और पूर्ति में गर्व से मुक्त
चाहे वह कितनी भी कोशिश कर ले,
उसे कभी भी अपना सम्मान या अपने लिए प्यार नहीं खोना चाहिए ।
8:42 AM
Sahithi Vivek
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Whenever knowledge does not inspire respect
Who would argue because of rightness
Whenever jewelry does not entice
Who would become a thief because expensive things
Whenever there was not object of desire
What would disturb our people's hearts
So who is wise when taking reins of management
Just tries to give to people clothes and food
And tries to destroy in them both knowledge and aspirations
To weaken will, to cool passion
And those who know let not agitate the people
Because only non-action leads to calmness
जब भी ज्ञान सम्मान को प्रेरित करने में विफल रहता है
क्या कोई है जो सही होने के कारण पर बहस करेगा,
जब गहनों में मोह न हो
तो महँगे होने पर भी कौन चोर कौन बनेगा,
जब-जब चाहत का कोई ठिकाना नहीं होता
हमारे लोगों के दिलों को क्या खलता,
तो कौन बुद्धिमान है जब वह प्रबंधन का नेतृत्व करता है
तो बस लोगों को कपड़े और भोजन देने की कोशिश कर रहा है,
इच्छाशक्ति को कमजोर करने के प्रयास में, जुनून को शांत करने के लिए,
वह उनमें ज्ञान और आकांक्षाओं को नष्ट करने की कोशिश करता है
जो जानते हैं, वे लोगों को उत्तेजित न करें,
क्योंकि अकर्म से ही शांति प्राप्त की जा सकती है
Looking forward to work with you on adaptation work.